Wednesday, September 28, 2011

'Radhe Guru Maa' ki Leelaye - Part 21







परम श्रधेय श्री राधे शक्ति माँ को हाज़िर नाजिर मान कर कहता हूँ की जो कहूँगा सच कहूँगा, सच के सिवा कुछ न कहूँगा / - सरल कवी|

'श्री राधे
माँ भवन 'में ममतामयी दया की मूरत पूज्य 'श्री राधे शक्ति माँ' के दर्शन के लिये लगी कतार में, मैं धीरे धीरे पौड़ी पौड़ी चढ़ता हुआ' दूसरी मंजिल तक पंहुच चूका था | 


एक कोने में खड़े तंदुरस्त अच्छे कद  काढ़ी वाले वक्ती को देखकर मैंने एक हाथ उठाकर धीरे से 'जय माता दी' कहा | उसने स्नेहयुक्त मुस्कान के साथ मेरी जय माता का उत्तर दिया |

वहा लगभग पैतालीस के आसपास की उमर का चमकते चेहरेवाला व्यक्ति था | उसके गले में पूज्य 'श्री राधे शक्ति माँ' क़ी फोटो वाला परिचय पत्र लटक रहा था |

"आपका परिचय जान सकता हूँ?" मैंने मैत्रीपूर्ण स्वर में पूछा |

"अविनाश..............." वहा पंजाबी लहजे में बोला,  "अविनाश वर्मा | लुधानिया से आया हूँ  |"

"अविनाश जी .........." मैंने हाथ आगे बढाया,  "मेरा नाम भगत है | आपका व्यक्तित्व देखकर मेरा मन किया क़ी में आपसे कोई बात करू |"

"जरुर करो ........" वहा गर्म जोशी से हाथ मिलाते हाए  बोला," क्या बात करेंगे ?"

"आप' देवी माँ' के दर्शन के लिये कब से आ रहे है ?"  मैंने उत्सुक स्वर में पूछा | 




'मैंने तो 'देवी
माँ' का तब से पुजारी हूँ .................." अविनाश गर्वित स्वर में बोला, " जबसे  'देवी माँ' जी पंजाब मुकेरिया के आश्रम में  थे | वहा 'देवी माँ' का बहुत ही आलीशान मंदिर है|  मुकेरिया ही क्यों देश के अनेक शहर में इनके आश्रम है | देहली में  में बहुत ही भव्य मंदिर है | यहाँ ..........जब से मुंबई में 'देवी माँ' ने अपना आसन लगाया है, तब से में लगातार बिना नागा आ रहा हूँ  | "

"कई बार 'देवी माँ' का विशेष आदेश होता है और में दौड़ा चला आता हूँ |"

"अच्छा.............? मैंने हर्ष और हैरानी भरे स्वर में पूछा,"
'देवी माँ' विशेष आदेश से भी बुलाती है ?"

" हाँ " अविनाश एकदम भावुक हो उठे, "एक बार
'देवी माँ' का संदेश मिला, फ़ौरन मुंबई पहुँचो"  हांलाकि मैं बहुत बिजी शेडूल में था मगर 'देवी माँ' का आदेश मिलते ही फ़ौरन फ्लाइट पकड़ कर यहा पंहुचा | "
मै अत्यंत दिलचस्पी से उनकी आप बीती सुन रहा था |

'
'देवी माँ' ने बुलाकर सामने बिठालिया -----' अविनाश ने बात आगे बढाई,' उन्होने  बताया कि आज से सात-आठ साल पहले उनका एक भक्त अपने परिवार के साथ दर्शन के लिये आया था | उस भक्त के साथ एक बहुत ही प्यारी भोली सी लड़की थी जो उनकी  बेटी थी | 'देवी माँ' ने उस भक्त को वचन दिया कि इस कन्या क़ी शादी वे स्वयं करेगी | वह भक्त अपनी रोजी- रोटी  क़ी तलाश में आसाम चला था | अपने कारोबार में व्यस्त रहने लगा | उसकी बेटी शादी लायक हो गई | उस भक्त ने अपनी बेटी क़ी शादी तय करदी | तारीख भी निश्चित हो गई | मगर वह भक्त 'देवी माँ' द्वारा कही बात शायद भूल गया |  मगर 'देवी माँ' तो अंतर्मायी है | अपने भक्तों  क़ी हर बात को जानती है | उन्होंने कहा 'अविनाश | मेरे उस भक्त क़ी बेटी क़ी इसी हप्ते शादी है, और तुम्हे जाकर शादी का सारा इंतजाम करना है | भगत जी 'देवी माँ' ने दुल्हन के लिये शादी का जोड़ा, दुल्हे के वस्त्र तथा अनेक सामान मुझे सोंपे और कहा कि शादी का पूरा इंतजाम अच्छे से होना चाहीये |"





" वाह sss वाह",  मेरा  मूंह हैरानी से खुला रह गया | मै अवाक अविनाश क़ी तरफ ताक रहा था |

"भगत जी --------" अविनाश श्रद्धा भरे स्वर में बोला, "मै
'देवी माँ' का आदेश और शादी का सारा लेकर आसाम पंहुचा | 'देवी माँ' ने मुझे पूरा address भी समझाया था |  मैं उस भक्त के निवास स्थान पर पंहुचा | "

" वह भक्त तो हैरानी से पागल हो गया |  'देवी माँ' क़ी कृपा, दया देखकर उसका पूरा परिवार ख़ुशी के आंसू बहाने लगा और 'देवी माँ' को लाखों दुआए देने लगा | मैं वहां शादी तक रहा | 'देवी माँ' क़ी असीम कृपा से इतनी शानदार शादी हुई  कि पूछो मत | शादी क़ी पुरे गाँव में चर्चा हो रही  थी | "

"जय हो 
'देवी माँ'|" मैंने श्रद्धा से हाथ जोड़े, "इसे कहते है माँ क़ी ममता |" 



"शादी के बाद उस भक्त का पूरा परिवार............" अविनाश वर्मा भावुक स्वर में बोला, " अपने  समधीयोंके से साथ  यहाँ
'देवी माँ' के दर्शनो के लिये आया |"

"किसी ने सच ही कहा है ..............." मैं अपना ज्ञान बधारने, "बच्चे अक्सर माँओं को भूला जाते है, मगर माँए अपने बच्चों  क़ी हर भूल-गलती को भुलाकर सदा उनपर ममता क़ी बरसात करती है | "


(निरंतर -------')


Note - 
Dear all, thanks for your overwhelming response, we will be sharing your experience with all the devotees of 'Shri Radhe Maa' very soon. 

If you also wish to share your experience with all the devotees of 'Devi Maa' you can email us on sanjeev@globaladvertisers.in, we will get it published.

प्रिय 'देवी माँ' के भक्तो 'माँ की लीलाए' हम निरंतर शृंखलाबंध प्रस्तारित कर रहे हैं | इसमें हमने 'देवी माँ' के सानिध्य में आने वाले भक्तों के अनुभव को कलमबदध किया हैं | 'माँ की लीलाये' आप को कैसी लगी रही हैं इस बारे मैं आप अपनी राय, अपनी समीक्षा, अपना सुझाव हमें निम्न इ-मेल पर भेज सकते हैं |


आप अगर अपने अनुभव,  'देवी माँ' के अपने साथ हुए चमत्कार को सबके साथ बाटना चाहते हैं,  तो हम आपके नाम और पते के साथ इसे पेश करेंगे | आप चाहेंगे तो नाम पता जाहिर नहीं करेंगे आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में -
Sanjeev Gupta
Email - sanjeev@globaladvertisers.in


Friday, September 23, 2011

'Shri Radhe Maa' ki Leelaye - Antara Jassu




परम श्रधेय श्री राधे शक्ति माँ को हाज़िर नाजिर मान कर कहता हूँ की जो कहूँगा सच कहूँगा, सच के सिवा कुछ न कहूँगा / - सरल कवी |


नाम अंतरा जस्सू
उम्र इक्कीस वर्ष
निवासी चारकोप | 

 जून २०११ को उसने जोगेश्वरी वेस्ट स्थित एच. के. खान कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स में बी. फार्मा. का अंतिम पेपर दिया | अपने कॉलेज में अच्छे पढने वाले बच्चों में उसका नाम बेस्ट ऑफ़ टेन में गिना जाता था |
अंतरा जस्सू  ने बी. फार्मा. कम्प्लीट करने के लिये रात दिन डट कर मेहनत की थी | बी फार्मा के बाद उसने  एम. फार्मा करने के लिये US जाने की दो साल पहेले ही ठान ली थी | अपनी पढाई के साथ उसने अमेरिकन युनिवर्सिटी में दाखले हेतु दो साल पहले से तैयारी शुरू दी थी | इस बाबत वह इन्टरनेट पर और कई  कंनसलटन्सी में जानकारी हासिल करती रही | 


अमेरिका में पढाई के लिये कुछ Exams पास करने थे, जिनमे जी आर ई और टॉप टेन जैसे कुछ अत्यंत कठिन exam भी देने होते है | अंतरा जस्सू को चूंकि अपने भविष्य के सपने को साकार करना था, सो उसने अपने मरसक प्रयास जारी रखे और  जी आर ई मे अछे  अंको की प्राप्ति हुई |  टॉप टेन भी बढ़िया रहा | जैसे ही उसने बी - फार्मा से फुरसत पाई, वह अन्य प्रयास मे जुट गई | उसने अमेरिका स्थित अलग - अलग युनिवर्सिटी के प्रवेश फार्म भरने शुरू किये | एक एक कॉलेज का फार्म भरने के लिये हजारो रुपयों की जरुरत होती थी | इसके लिये उसने बोरीवली स्थित एक  कंनसलटन्सी की मदद ली जिसके लिये उसे अच्छी खासी रक्कम अदा करनी पड़ी | अलग अलग फार्म भरने, उन्हें अपने डाक्युमेंटस कुरिएर से भेजने तथा उनके बार यहां वहां से डाक्युमेंटस इकटे करने उन्हें xerox करवाने आदि के लिये भी भरपूर रक्कम खर्च करनी पड़ी | 



जून और आधे जुलाई महीने की भरपूर मेहनत के बाद अब अंतरा जस्सू इस इंतजार मे बैचेन थी कि उसे अमेरिका के किस एरिया की किस  युनिवर्सिटी मे से सेक्सन लैटर आयेगा | रात दिन  की इन्टरनेट चेकिंग और भारी इंतजार के बाद आखिर उसे एक, न्यूयार्क की लोंग - आयलेंड युनिवेर्सिटी से सेक्सन लैटर आ ही गया |
अंतरा जस्सू  के मुरझाये चहेरे पर एकाएक  चमक दिखाई देने लगी | लोंग आईलैंड 
युनिवर्सिटी
न्यूयार्क  की एक हाई - फाई और बहुत विशाल प्राचीन  युनिवर्सिटी हैं | उसकी औपचारिकता पूरी करने मे पंद्रह दिन और ढेर सारे अमेरिकन डालर खर्च हुए | लेकिन खैर | अंतरा जस्सू का एडमिशन लैटर मे लिखी दो साल के तमाम खर्चों को देखकर अंतरा  जस्सू के परिवार मे चिंता के बदल छा गये | 

हकीकत मे अंतरा जस्सू के अभिभावक एक साधारण इनकम से अपना परिवार चला रहे थे | घर मे चर्चा  शुरू हुई की रकम का क्या होगा | फिर एजुकेशन लोन के लिये प्रयास चालू हो गया | एक बैंक से दुसरे बैंक मे भागते - दौड़ते थकना शुरू हो गई लेकिन, एजुकेशन लोन देने वाले बैंक मे बैठे अधिकारी लोगो की खाम खा की खज्जल खारी से अंतरा जस्सू का परिवार परेशान और हताश होने लगा | उधर एक सितम्बर मे कॉलेज शुरू हो रहे थे और इधर बैंक वाले कभी कल आओ तो कभी परसों आओ की गोली देकर समय बर्बाद कर रहे थे | यह जुलाई का अंतिम सप्ताह था | सिर्फ एक महीने का समय बाकी था | और अभी तक लोन का कुछ नहीं बना था जबकि एक बहुत बड़ी समस्या का सामना होना तो अभी बाकी था |

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अमेरिकन  एम्बेसी से वीजा लेना कोई आसन काम नहीं था | उसके लिये ढेर सारे कागजात चाहिये  थे |
माह जुलाई की अंतिम तारीख | अंतरा जस्सू परेशान हालत में अपने परिवार के साथ 'श्री राधे मा भवन' में शनिवार की रात 'श्री राधे शक्ति मा' की शरण में पहूँच गई | 'राधे मा' की गुफा में अंतरा जस्सू ने देवी माँ की तरफ झांका तो उसकी आखों में आसू जैसे अभी टपक जाने वाले थे | 'श्री राधे शक्तिमाँ' ने भरपूर दया की दृष्टी उस पर डाली | अपने दाहिने हाथ में पकड़ा त्रिशूल उन्होंने हौले से अंतरा जस्सू के सिर से छु दिया | ऐसे लगा जैसे अंतरा जस्सू के दिन फिर गये |


उसके बाद एकाएक  घटनाक्रम तेजी से घुमने लगा | अगले दिन रविवार की सुबह लौट आईलैंड यूनिवर्सिटी से एक बड़ा सा कुरिएर लिफाफा आयाइस लिफाफे में आई - ट्वेंटी था | यानी की वीजा लगने के लिये जरुरी पत्र | श्याम को
एक बैंक के अधिकारी का फोन आया जिसने सोमवार को बैंक में बुलाया था | अपने तमाम कागजात और आय- ट्वेंटी लेकर अंतरा जस्सू सोमवार यानी अगस्त की पहली सप्ताह में बैंक अधिकारी से मिली
बुधवार को अंतरा जस्सू को बैंक से एक पत्र मिला जिसमे उसे बताया गया कि उसका बैंक लोन स्वीकृत किया जा चूका है | बुधवार को ही उसने एच. डी. सी बैंक से वीजा एम्प्लाई क़ी फ़ीस भरी | गुरवार को उसने ऑनलाइन वीजा फार्म  भरकर 'इन्टरव्हिऊ डेट' ली | अगली शुक्रवार को अंतरा जस्सू अमेरिकन  एम्बेसी में वीजा इन्टरव्हिऊ के लिये उपस्थित थी

अंतरा जस्सू 'इन्टरव्हिऊ के समय इतनी नर्वस थी क़ि उसके हाथ बुरी तरह काप रहे थे और वह अपनी फाइल भी बड़ी मुशकिल से संभला पा रही थी | उसके मन में उनके सवाल उमर-मिट रहे थे | लेकिन अंतरा जस्सू को जैसे एका एक आभास हुआ क़ि उसके सिर को श्री राधे शक्ति माँ' वह त्रिशूल अभी भी छु रहा है | देवी माँ क़ी कृपा | अंतरा जस्सू को वीजा मिलने में तीन मिनिट का वक्त भी नहीं लगा | एम्बैसी से बहार आते लगा जैसे अंतरा जस्सू हवा में उड़ रही थी

दुसरे दिन बैंक अधिकारी ने सूचित किया कि वह तीन दिन बाद कभी भी लोन का चेक ले सकती है

आप सभी माता के भक्तो को अंतरा जस्सू क़ी यह कहनी इसलिये सुना रहा हु क्योंकि में उसके परिवार का एक सदस्य है | 'श्री राधे शक्ति माँ' क़ी कृपा से सिर्फ पंद्रह दिन में कितनेसिर्फ पंद्रह दिन में युनिवर्सिटी से आई - ट्वेंटी  का लैटर आना, दस दस दिन में लोन पास होकर मिल जाना बारह दिन वीजा लगजाना  और अगले पंद्रह दिन शनिवार क़ी चौकी में जब अंतरा जस्सू देवी माँ के चरणों में गई तो यह बताने के लिये कि वह 19 अगस्त क़ी रात क़ी फलाईट पकड़ कर न्यूयार्क जा रही है | आपके आशीर्वाद से

भक्तोजनो | अंतरा जस्सू 21 अगस्त को न्यूयार्क पहुँच गई अपनी एम्. फार्मा क़ी पढाई कम्प्लीट करने के लिये

अंतरा जस्सू का सन्देश :  जैसे श्री राधे शक्ति माँ  ने सिर्फ पंद्रह दिन में मेरे तमाम कार्य सिद्ध किये आप सभी के भी सभी सपने साकार हो | शर्त लेकिन यह है क़ि आपका विश्वास अटूट हो, आपकी आस्था प्रबल हो और आपकी भावना शुद्ध हो | जय श्री राधे शक्ति माँ |

(निरंतर)

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प्रिय 'देवी माँ' के भक्तो 'माँ की लीलाए' हम निरंतर शृंखलाबंध प्रस्तारित कर रहे हैं | इसमें हमने 'देवी माँ' के सानिध्य में आने वाले भक्तों के अनुभव को कलमबदध किया हैं | 'माँ की लीलाये' आप को कैसी लगी रही हैं इस बारे मैं आप अपनी राय, अपनी समीक्षा, अपना सुझाव हमें निम्न इ-मेल पर भेज सकते हैं |


आप अगर अपने अनुभव,  'देवी माँ' के अपने साथ हुए चमत्कार को सबके साथ बाटना चाहते हैं,  तो हम आपके नाम और पते के साथ इसे पेश करेंगे | आप चाहेंगे तो नाम पता जाहिर नहीं करेंगे आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में -
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Monday, September 5, 2011

'Radhe Guru Maa' ki Leelaye - Part 19






परम श्रधेय श्री राधे शक्ति माँ को हाज़िर नाजिर मान कर कहता हूँ की जो कहूँगा सच कहूँगा, सच के सिवा कुछ न कहूँगा / - सरल कवी


एकाएक मुझे जोरों से भूक सताने लगी | हालाकी मैं सीधे तीन माला पर जाकर भंडारा ले सकता था, परन्तु मैंने निश्चित किया की पहले ‘श्री राधे शक्ति माँ' के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लूँगा, फिर भंडारे से प्रशाद ग्रहण करूँगा |


मैं फर्स्ट फ्लोर पे स्थित वेटिंग हॉल से निकल कर सीढियों की तरफ बढा | वहा मौजूद दर्शनों की कतार में खड़े भक्तों ने जोर से जयकारा लगाया | मैंने ऊपर जाने के लिए जैसे ही सीढ़ी के तरफ कदम बढ़ाये, लाल ड्रेस पहने एक महिला सेवादार ने हाथ जोड़कर विनम्र स्वर में कहा, “जय माता दी, भगत जी ! कृपया लाइन से आइये |"


लाइन में खड़े एक दर्शनार्थी ने तनिक आगे सरक कर मेरे लिए जगह बनाई | मैं स्वयं को लाइन में अड़जस्ट किया | हलाकि मेरे पीछे खड़े आढे से व्यक्ति के चेहरे पर कडवाहट के भाव प्रकट हुए मगर मैंने जैसे ही क्षमा -याचना की दृष्टि से उनकी तरफ देखा | उसने मेरा कन्धा थपथपाकर ‘जाने दो’ जैसी अदा से हाथ झटका |


“आप कहाँ से आये है, मालिक ?” मैंने आगे खड़े सज्जन से पुछा |



राजौरी गार्डेन …” उसने मेरी तरफ गर्दन घुमाई .. “दिल्ली से … और आप ?”


“मैं यही से हूँ ….” मैंने हसकर कहा , “आप कब आये दिल्ली से?”


“आज ही आया हूँ …” वह व्यस्त स्वर में बोले, “और सुबह जल्दी के फलाइट से वापिस जाना है ! ‘देवी माँ ’ के दर्शन करना ही मेरा ख़ास काम है, जिसके लिए आया हूँ |”


“आप का नाम जान सकता हूँ ?” मैंने सहज भाव से पुछा|


“ राजीव बंसल !” उसने एक सीढ़ी ऊपर चढ़ते हुए कहा, “ ठेकेदारी करता हूँ ! सच पूछोगे तो मैं आज जो भी हूँ, ‘देवी माँ’ के बदोलत ही हूँ |”


मैं भी एक सीढ़ी आगे बढ़ा |


“आज से दस साल पहले मैं कुछ भी नहीं था | माँ-बाप ने शादी कर दी | एक कपडे की दुकान पर सिर्फ तेरहसौ (1300) महीने के नौकरी करता था | घर का खर्चा बड़ी मुश्किल से चलता था | ऊपर से किराये के मकान में रहते थे | मकान क्या? एक कमरा कह लो, उसी में किचन , बाथरूम और बेडरूम | मेरे माँ -बाप पलंग पर सोते थे , हम निचे गद्दा बिछाते थे | तंगी और आभाव से  घिरे जैसे तैसे जिंदगी घिसट रहे थे | फिर मुझे एक बंदा दिल्ली में स्थित ‘राधे माँ ’के भवन में ले गया | मैंने वहा ‘देवी माँ ’ से अपनी कंगालीसे छुटकारा पाने की गुहार की | तीन –चार महीने तक मैं लगातार ‘श्री राधे माँ’ भवन जाता रहा |”


राजीव बंसल भावुक हो उठा |

“मेरा किराये का रूम बहुत ही खस्ता हाल में था ? पोलिस्टर टूट टूट कर गिर रहा था | फर्श में जगह जगह गद्दे थे | मैंने मकान मालिक से मुरममत करवाने  के लिए बारबार मिन्नत की | एक रात मैं ‘देवी माँ ’ भवन में जाकर रोने लगा | मैंने ‘देवी माँ ’ से एक ही प्रार्थना की, माँ मुझे रास्ता दिखाओ, सुबह उठा तो मकान मालिक आया | उसने कहा की उसके पास टाइम नहीं है, मैं स्वयं ही रूम की मरममत करवा लूं , जो खर्चा आयेगा मकान मालिक मुझे दे देगा | यही टर्निंग पॉइंट था | ‘देवी माँ’ ने मेरी प्रार्थना काबुल की | मैंने दुकान से तीन दिन की छुट्टी ली | घर रेपैरिंग का मटेरिअल इकखटा किया और मिस्त्री बुलाकर ले आया | लेबरकी जगह मैं खुद  ही काम कर रहा था | मैंने इस प्रकार मजदूरी की दिहाड़ी बचने की भी सोची | मैंने बड़ी तबियत से रूम की टूट -फुट ठीक की | मेरे पडोसी ने जब काम देखा तो बोला, ‘यार , मेरे रूम की भी मुरामत करनी है| मैंने मटेरिअल , मिस्त्री की दिहाड़ी आदि का बजेट बनाया और फिर  अपनी बचत जोड़कर उसे बजेट दिया | वह मान गया | उसके बाद गल्ली में पांच - सात मकानों की मरमत का काम मिला | मेरे काम की तारीफ़ होने लगी . मैंने कपडे की दुकान वाली नौकरी छोड़ दी | मैं नियमित रूप  से दिल्ली वाले ‘राधे माँ ’ भवन में जाकर हाजरी लगाता था | ‘देवी माँ ’ की आसिम –आपर कृपा दृष्टि हुई | मैंने ठेकेदार बन गया | पहले मरममत का काम मिलता था | अब अन्य मकान और कोठी निर्माण का काम भी मिलने लगा | मैं पूज्य 'श्री राधे शक्ति माँ' का बार - बार धन्यवाद करता हूँ | उनकी मेहेरबानी हुई | आज दिल्ली  में जगह जगह प्रोजेक्ट्स चल रहे है | कभी इस साईट पर तो कभी उस साईट पर भागना पड़ता है | लेकिन फिर भी …..” राजीव बंसल ने , “फिर भी ” पर जोर दिया | “फिर भी यहाँ नियमित रूप से माँ की हाजरी में आता हूँ | कितना भी बीसी शेडुअल क्यूँ न हो, दोपहर की फलाइट पकड़ता हूँ | यहाँ आता हूँ , ‘देवी  माँ ’ के दर्शन प्राप्त करता हूँ, और सुबह की जल्दी वाली फलाइट से वापिस दिल्ली लौट जाता हूँ | ‘देवी माँ ’ का आभारी हूँ | भाईसाहब , सब कुछ मिल गया है | अब तो एक ही तम्मना है , टूटे चाहे सारा जग टूटे , ‘देवी माँ ’ का द्वार न टूटे ”


राजीव बंसल एकदम विभोर भाव से ताली बजाकर ‘श्री राधे माँ ’ का  नाम जप रहा था | उसके धीमे धीमे गाने की आवाज़ मेरे कानो में मिश्री घोल रही थी |


एक –दो करके हमारी कतार निरंतर सिधिया चढ़ते हुए आगे बढ़ रही थी |हम दूसरी मंजिल पहुंचे …|

(निरंतर )





 


Note - प्रिय 'देवी माँ' के भक्तो 'माँ की लीलाए' हम निरंतर शृंखलाबंध प्रस्तारित कर रहे हैं | इसमें हमने 'देवी माँ' के सानिध्य में आने वाले भक्तों के अनुभव को कलमबदध किया हैं | 'माँ की लीलाये' आप को कैसी लगी रही हैं इस बारे मैं आप अपनी राय, अपनी समीक्षा, अपना सुझाव हमें निम्न इ-मेल पर भेज सकते हैं |


आप अगर अपने अनुभव,  'देवी माँ' के अपने साथ हुए चमत्कार को सबके साथ बाटना चाहते हैं,  तो हम आपके नाम और पते के साथ इसे पेश करेंगे | आप चाहेंगे तो नाम पता जाहिर नहीं करेंगे आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में -
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