Part 1
एक शनिवार /
उस समय रात्रि एक लगभग ९.३० बजे थे / में रात्रि का भोजन करने के बाद यूँही टहलने के लिए निचे उतर आया और धीमे धीमे कदमो से चलता हुआ सोडावाला लेन की तरफ निकल आया / बोरीवली पश्चिम में चंद्रावरकर रोड पर स्थित सोडावाला लेन मेरी पसंदीदा गली है/ जहाँ में अक्सर टहलने के लिए निकल आया करता हूँ /
अचानक हलकी हलकी बूंदा बांदी होने लगी /
मैंने भीगने से पहले बचेने के लिए जगह तलाश करते हुए इधर उधर झाका / तभी मुझे एक बिल्डिंग के सामने कुछ लोगो का हुजूम दिखाई दिया / मैंने तनिक कदम तेज किये मगर मुझे आश्चर्य हुआ / वहां लगी कतार में कोई भी सज्जन बारिश से बचने के लिए चिंतित दिखाई नहीं दे रहा था/ कतार में लगे बच्चे , बूढ़े, जवान, बुजुर्ग, महिलाये, लडकिया, बढे आराम से धीरे धीरे आगे बढ़ रहे थे /
यह लाइन कैसी है ? इस वक़्त इन लोगो को कतार बद्ध होकर कहाँ जाता है ? मेरा जिज्ञासु मान उत्सुकता से भर उठा / में कतार के निकट पहुंचा / एक सज्जन ने बड़ी विनम्रता से हाथ जोड़कर मुझसे कहा 'भगत जी ! कृपया लाइन में आईये /
में जब तक कुछ समझ पाता मेरे पीछे दस-बारह सज्जन कतार में लग चुके थे / कुछ लोगो के हाथों में फुल के गुलदस्ते, कईओंके हाथ में नारियल चुनरी और अन्य पूजा अदि का सामान था / शायद प्रशाद वैगेरह/
मैंने उत्सुकता से अपने आगे खड़े लगभग चालीस वर्षीय व्यक्ति से पुछा ''भाई, हम लोग कहा जा रहे है?''
उसने हैरानी से मेरी तरफ देखते हुई सवाल किया, "पहली बार आये हो क्या? "
मैंने सहमती में गर्दन हिलाई!
"आज शनिवार है/" , वह भावविभोर स्वर में बोला, "आज भाग खुल जायेंगे / देवी माँ के दर्शन होंगे/"
"देवी माँ?" मैंने उत्सुकता से पुछा "यहाँ कोई मंदिर है?"
"मंदिर से भी बढ़कर ...... " वह एकदम श्रद्धा भरे स्वर में बोला, "यह राधे माँ भवन है.... " वह मंत्रमुग्ध निगाहों से भवन की पाचवी मंझिल की तरफ निहारने लगा, " देखो भगतजी .... जगतजगनी माँ भगवती एक है, मगर उसके करोडो करोडो उपासक है / अब जब सभी लोग माँ को पुकारेंगे तो माँ का एक साथ सभी के पास पहुचना तो संभव नहीं होगा ना / तब साक्षात् माँ अपने स्वरुप को किसी दूत के माध्यम से सबके पास पहुचती है / ऐसी ही माँ भगवती की दूत हमारी देवी माँ है / सभी उनको राधे शक्ति माँ के नाम से पुकारते है /
"आप कहाँ से पधारे है, भैया?" मैंने प्रश्न किया ?
"में..?"उसने मेरी तरफ देख कर कहा, "लुधिआना, पंजाब से ! और क्यों आया हूँ सुनोगे?"
"सुनाओ, !" मैंने सर हिलाया / वह गंभीर स्वर में बोला, "सुनो ...."
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