Wednesday, August 31, 2011

'Radhe Guru Maa' ki Leelaye - Part 18


परम श्रधेय श्री राधे शक्ति माँ को हाज़िर नाजिर मान कर कहता हूँ की जो कहूँगा सच कहूँगा, सच के सिवा कुछ न कहूँगा / - सरल कवी


'श्री राधे माँ भवन' के फर्स्ट फ्लोर स्थित विशाल वेटिंग हॉल में श्री मनमोहन गुप्ता जी के संग आया था | उन्होंने लड़के को मेरे लिये कॉफ़ी लाने का इशारा किया और स्वयं पसर हल्की  झपकी लेने लगे | तभी दुबई से हिम्मत भाई एअरपोर्ट से सीधे यहाँ चले आये थे | कॉफ़ी पिने के दौरान उन्होंने अपनी आप- बीती सुनाई | अपने बचपन के लंगोटिया यार और बिजनेस पार्टनर के दगा  करने के बावजूद कैसे वे 'देवी माँ' की कृपा से अपने मुकाम पर पहुंचे | वाकई प्रेरणादायक प्रसंग था | 

"चलो .................." हिम्मत भाई ने तपाक से हाथ मिलाते हुए कहा, " मैं 'देवी माँ' की हाजरी लगाने जा रहा हूँ| उसके बाद भंडारा लूँगा | बहुत भूख लगी है ! तुम चल रहे हो ??"

"आप चलो हिम्मत भाई..............'  मैंने अंगड़ाई लेने का उपक्रम किया,' में थोडा ठहेरकर ...............'

हिम्मत भाई ने दरवाजे के पास पहुँच कर अभिवादन करते हुए हाथ हिलाया | तभी एक महिला ने वेटिंग हॉल में प्रवेश किया | हिम्मत भाई ने तनिक पीछे हटकर उन्हें रास्ता दिया और फिर स्वयं दरवाजे से बाहर निकल   गये | 

अभी अभी हॉल  में प्रविष्ट हुई महिला की गोद में लगभग तीन -साढ़े तीन साल की बच्ची थी,  जो शायद सोने के लिये कसगसा रही थी और वह महिला उसे हौले हौले थपथपा रही थी |

श्री मनमोहन गुप्ता एकाएक उठे | हथेली  के पिछले भाग से मुह पोछा और फिर खेद भरी मुस्कान के साथ मेरी तरफ देखा | मैंने उन्हें सो जाने का इशारा किया | उन्होंने इन्कार में सर हिलाते हुए निचे चल रही 'माता की चौकी' में जाने की इच्छा जतलाते हुए  एक हाथ पाजामे की जेब में ढूसा और दरवाजे से निकल गये |

आगंतुक महिला ने सोफे में बच्ची को लिटाया और स्वयं  पास बैठे गई | उसे थपथपाते हुए मेरी तरफ देख कर बोली, " जय माता दी | "
"जय माता दी | "  मैंने बच्ची पर एक निगाह डाली, " बहुत प्यारी बच्ची है | "

" देवी माँ ने दी है |"  वह पूर्ववत थपथापते हुए श्रद्धा भरे स्वर में बोली," हमने इसका नाम भी राधिका रखा है | वो क्या है ना,  दरअसल  इसका सोने का टाइम हो गया है | बच्ची है ना ! नींद तो आयेगी ही |"
मैंने सिर हिलाया |


" आपने दर्शन किये..............." उसने भवे हिलाकर पूछा | "मैंने अभी दर्शन के लिये ही जा रही थी वो क्या है ना इसी बच्ची को आशीर्वाद दिलवाना था | भाई साब ! बड़ी मिन्नत करके, बहुत मांग-मांग कर मैंने देवी माँ से कन्या ली है |  मेरी ससुराल वाले तो बहुत चिल्लाते थे कि क्या सारा दिन बिटिया बिटिया की रट लगाये रहती हो | पर मैं अपनी जिद्द पर अड़ी रही | यह मेरी पहली संतान है | वो क्या है ना, हर कोई पहली संतान के रुप में बेटा ही मांगता है | मैंने हमेशा से यही  इच्छा रखी कि मेरे यहाँ पहली बेटी ही हो | क्यू भाई साहब ? बेटियों में क्या बुराई है |"

"बेटिया ही नहीं होगी.............."मै अपना ज्ञान बधारने लगा, " तो माँ  कहा से होगी | बहिन कहा से होगी | बीवी कहा से होगी | मामी कहा से होगी | बेटी ही तो सृष्टि का आधार है | "

"वो क्या है ना ..............."  महिला का स्वर उत्साह से भर गया, "लोग बेटा बेटा कर के अपने बेटो को सर चढ़ा लेते है और फिर वही बेटे अपने माँ बाप की दुर्गति करते देखे गये है | कन्याए तो बेचारी सदा अपने ससुराल में भी माँ बाप की खैर मांगती रहती है | अब 'देवी माँ' को ही देख लो | वो भी तो किसी की बेटी है ही ना | कैसे लाखो लोगोका कल्याण कर रही है | ना कुछ चढावा मांगती है | ना कुछ और मांगती है | बस हमेशा देती ही रहती है | "

मैंने सहमति में सर हिलाया|


"वो क्या है न भाई साहब...?" महिला ने स्वर थोडा धीमा किया, " हर किसी को मुह माँगा तो मिलता नहीं है न | मुकद्दर भी तो आखिर कोई चीज़ है | अपनी मुकद्दर में लिखा है स्कूटर और आप होंडा- सिटी के लिए शिकायत करे की 'देवी माँ' स्कूटर क्यों दिया, होंडा सिटी क्यों नहीं दी?? यह कोई बात हुई? ज़रा यह भी तो सोचो कुछ लोगो के पास तो स्कूटर क्या सायकल तक भी नहीं है| फिर? 'देवी माँ' से शिकायक क्यों? देखो भाई साहब ! वो क्या है न, एक  स्कूल में  किसी क्लास में 80 बच्चे है | उन  80 बच्चो में से एक बच्चा फर्स्ट क्लास ला रहा है | 95 % ला रहा है | और उसी क्लास में एक बच्चा फ़ैल हो गया है |  तो क्या कहोगे ? टीचर  ने कुछ गड़बड़ किया | अगर टीचर ने गड़बड़ किया है तो एक बच्चा फर्स्ट क्लास क्यों आया?  वो क्या है न भाई साहब, काबिलियत भी तो कुछ होती है | टीचर के पढ़ने में मीन मेख मत निकालो, अपनी मेहनत , अपनी लगन को भी देखो | 'देवी माँ क्या दे रही है और उसको इतना दे रही है, मेरे को कम  क्यों दे रही है - यह मत देखो | यह देखो की श्री  राधे  शक्ति माँ' के दरबार  से कुछ मिल  तो रहा है | खाली तो नहीं जा रहा ना | क्या में ठीक कह रही हूँ?"

मैंने सहमति में सर हिलाया |


तभी एकाएक बच्ची उठकर बैठ गयी |
महिला ने इशारे से बच्ची को सो जाने को पुछा | बच्ची ने इन्कार में दाए बाए सर हिलाया |

"दर्शन के लिए चले? " महिला ने स्नेहिल भाव में पुछा | 

बच्ची ने दोनों बहे उठाकर माँ की तरफ देखा |

महिला ने बच्ची को गोद में उठाया, मेरी तरफ देखकर अत्यंत धीमे स्वर में "जय माता दी" कहा और तेज कदमो से चलती हुई दरवाजे से
बाहर निकल गयी |

(निरंतर ....)




Note - प्रिय 'देवी माँ' के भक्तो 'माँ की लीलाए' हम निरंतर शृंखलाबंध प्रस्तारित कर रहे हैं | इसमें हमने 'देवी माँ' के सानिध्य में आने वाले भक्तों के अनुभव को कलमबदध किया हैं | 'माँ की लीलाये' आप को कैसी लगी रही हैं इस बारे मैं आप अपनी राय, अपनी समीक्षा, अपना सुझाव हमें निम्न इ-मेल पर भेज सकते हैं |


आप अगर अपने अनुभव,  'देवी माँ' के अपने साथ हुए चमत्कार को सबके साथ बाटना चाहते हैं,  तो हम आपके नाम और पते के साथ इसे पेश करेंगे | आप चाहेंगे तो नाम पता जाहिर नहीं करेंगे आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में -
Sanjeev Gupta
Email - sanjeev@globaladvertisers.in
 

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