Part - 3
कतार में लगे श्रधालुओं में से एक ने बुलंद स्वर में जयकारा लगाया "जयकारा मेरी सच्ची सरकार श्री राधे शक्ती माँजी का ...."
"बोल सांचे दरबार की जय..." उत्तर में पूरी कतार ने दोनों हाथ उठाकर जयकारा पूरा किया |
तभी बूंदा बांदी ने तेज बोछार के साथ बरसात का रूप ले लिया | कतार जो धीमे धीमे आगे सरक रही थी, एकदम से तेज रफ़्तार में आगे बढ़ने लगी | एक गहिरे नीले सफारी सूट पहने सेवादार ने मुझे लाल रंग का रुमाल दिया | रुमाल पर अलग अलग तरह से "श्री राधे माँ" का नाम प्रिंट किया हुआ था | मैंने रुमाल को सर पर बांधने की कोशिश की | मेरे पिच्छे वाले सज्जन ने मदत करते हुए रुमाल को सही तरीके से बाँध दिया |
मैंने अपने आगे वाले पंजाब से ए अर्जुन सचदेवा की कहानी को गौर से सुना | उस आदमीं के स्वर में जो विश्वास, जो आशा, जो श्रध्हा, जो पूर्ण समर्पण की भावना चालक रही थी, में बिना दर्शन किये ही श्री राधे शक्ती माँ को अपने आस पास महसूस करने लगा |
अर्जुन सचदेवा ने बता की शादी के लगभग 11 साल बाद उसे पुत्र की प्राप्ति हुई और यह सब 'देवी माँ' की असीम अनुकम्पा और आशीर्वाद से ही संभव हुआ | अर्जुन सचदेवा अकेला ही देवी माँ का धन्यवाद् करने आया था |उसकी दादी की तबियत थोड़ी नरम थी, इसलिए अपनी पत्नी को उनकी सेवा के लिए छोड़कर आया था |
में कतार के साथ जैसे ही ग्राउंड फ्लोर पर स्थित बड़े से हॉल में पहुंचा, मेरे सामने अद्भुत नजारा था |
हॉल माता के भक्तों से खचाखच भरा था | अनेक सेवादार और सेवादारिया बड़े विनम्र और श्रद्धाभाव से भक्तो को अनुशानात्मक तरीके से बिठा रहे थे |
सामने भगवती माँ की चौकी का कार्यक्रम चल रहा था | सुन्दर दरबार सजा था | साजिन्दे बड़े कलात्मक ढंग से अपने अपने इंस्ट्रूमेंट बजा रहे थे | में जैसे ही दरबार के निकट पहुंचा, मैंने गौर से भजन गा रहे कलाकार की तरफ देखा |
बड़े ही मधुर और निपुण अधेस्वरों में बह गा रहा था | "मेरे भोले बाबा, राधे माँ का रूप क्या सजा दिया ......"
एक सज्जन ने थोडा सरक कर मेरे लिए बैठने की जगह बनाई | मेंने कृतज्ञता पूर्वक उसकी तरफ मुस्कुराकर बैठते हुए हाल में नज़र दौड़ाई|
श्रधालुओं में ठसाठस भरे हॉल में सभी को बड़े व्यवस्थित ढंग से बैठाया गया था | अलग अलग जगहों से आये सभी श्रद्धालु भक्ति भाव तालिया बजाते, झूमते हुए भजन में लीन थे |
"बहुत बढ़िया गा रहे है भाई !" मैंने प्रशंसामत स्वर में बाजू में बैठे व्यक्ति से पुछा, " इन भाईसाहब का नाम क्या है?"
"आप नहीं जानते ?" उस व्यक्ति ने अत्यंत गर्व भरे स्वर में कहा, " ये पंजाब से आये है | हिंदुस्तान ही नहीं पुरे विश्व में इनकी गायकी की तारीफ होती है | ये 'सरदूल सिकंदर' है|"
में आश्चर्य चकित रह गया|
एक मुसलमान गायक 'श्री राधे शक्ति माँ' का गुणगान कर रहा था और वोह भी अत्यंत भक्ति भाव से !
"बोल सांचे दरबार की जय..." उत्तर में पूरी कतार ने दोनों हाथ उठाकर जयकारा पूरा किया |
तभी बूंदा बांदी ने तेज बोछार के साथ बरसात का रूप ले लिया | कतार जो धीमे धीमे आगे सरक रही थी, एकदम से तेज रफ़्तार में आगे बढ़ने लगी | एक गहिरे नीले सफारी सूट पहने सेवादार ने मुझे लाल रंग का रुमाल दिया | रुमाल पर अलग अलग तरह से "श्री राधे माँ" का नाम प्रिंट किया हुआ था | मैंने रुमाल को सर पर बांधने की कोशिश की | मेरे पिच्छे वाले सज्जन ने मदत करते हुए रुमाल को सही तरीके से बाँध दिया |
मैंने अपने आगे वाले पंजाब से ए अर्जुन सचदेवा की कहानी को गौर से सुना | उस आदमीं के स्वर में जो विश्वास, जो आशा, जो श्रध्हा, जो पूर्ण समर्पण की भावना चालक रही थी, में बिना दर्शन किये ही श्री राधे शक्ती माँ को अपने आस पास महसूस करने लगा |
अर्जुन सचदेवा ने बता की शादी के लगभग 11 साल बाद उसे पुत्र की प्राप्ति हुई और यह सब 'देवी माँ' की असीम अनुकम्पा और आशीर्वाद से ही संभव हुआ | अर्जुन सचदेवा अकेला ही देवी माँ का धन्यवाद् करने आया था |उसकी दादी की तबियत थोड़ी नरम थी, इसलिए अपनी पत्नी को उनकी सेवा के लिए छोड़कर आया था |
में कतार के साथ जैसे ही ग्राउंड फ्लोर पर स्थित बड़े से हॉल में पहुंचा, मेरे सामने अद्भुत नजारा था |
हॉल माता के भक्तों से खचाखच भरा था | अनेक सेवादार और सेवादारिया बड़े विनम्र और श्रद्धाभाव से भक्तो को अनुशानात्मक तरीके से बिठा रहे थे |
सामने भगवती माँ की चौकी का कार्यक्रम चल रहा था | सुन्दर दरबार सजा था | साजिन्दे बड़े कलात्मक ढंग से अपने अपने इंस्ट्रूमेंट बजा रहे थे | में जैसे ही दरबार के निकट पहुंचा, मैंने गौर से भजन गा रहे कलाकार की तरफ देखा |
बड़े ही मधुर और निपुण अधेस्वरों में बह गा रहा था | "मेरे भोले बाबा, राधे माँ का रूप क्या सजा दिया ......"
एक सज्जन ने थोडा सरक कर मेरे लिए बैठने की जगह बनाई | मेंने कृतज्ञता पूर्वक उसकी तरफ मुस्कुराकर बैठते हुए हाल में नज़र दौड़ाई|
श्रधालुओं में ठसाठस भरे हॉल में सभी को बड़े व्यवस्थित ढंग से बैठाया गया था | अलग अलग जगहों से आये सभी श्रद्धालु भक्ति भाव तालिया बजाते, झूमते हुए भजन में लीन थे |
"बहुत बढ़िया गा रहे है भाई !" मैंने प्रशंसामत स्वर में बाजू में बैठे व्यक्ति से पुछा, " इन भाईसाहब का नाम क्या है?"
"आप नहीं जानते ?" उस व्यक्ति ने अत्यंत गर्व भरे स्वर में कहा, " ये पंजाब से आये है | हिंदुस्तान ही नहीं पुरे विश्व में इनकी गायकी की तारीफ होती है | ये 'सरदूल सिकंदर' है|"
में आश्चर्य चकित रह गया|
एक मुसलमान गायक 'श्री राधे शक्ति माँ' का गुणगान कर रहा था और वोह भी अत्यंत भक्ति भाव से !
धन्य श्री राधे शक्ति माँ !!
(निरंतर...)
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