Part 9
बोरीवली पश्चिम स्थित स्टेशन से सिर्फ पांच सात मिनट के पैदल रस्ते पर चामुण्डा सर्कल से थोडा आगे स्थित सोडावाला लेन में 'श्री राधे माँ भवन' के ग्राउंड फ्लोअर स्थित हॉल में माता की चौकी का आयोजन भव्य और धार्मिक भावना से परिपूर्ण, चल रहा था |
में गाने बजाने वाले कलाकारों के निकट बैठा तल्लीनता के साथ भक्ति संगीत में डूबा था, मगर मेरी निगाहे अपने बाई तरफ स्थित उस गलियारे की तरफ थी, जहाँ से पांचवी मंजिल को जाने की सीढिया थी|
गलियारे की निकट आधा दर्जन भर सेवादार दर्शनों के लिए जाने वाले और दर्शनोसे लौटकर आने वाली सांगत को व्यवस्थित ढंग से संभाल रहे थे |
उन सेवादारो के बीच खड़े एक सज्जन की तरफ मेरा ध्यान आकर्षित हुआ | क्रीम कलर का सफारी सूट, चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक, मगर श्रद्धा और समर्पण की झलक भी स्पष्ट नजर आ रही थी | वे दोनों हाथों से धीमे धीमे ताली बजा रहे थे | भजन - गायक के साथ साथ कुछ गुनगुना रहे थे, मगर बीच बीच में सेवादारों को कुछ निर्देश भी दिए जा रहे थे | उनकी मुश्तेदी और कर्तव्यदक्षता के कारन हॉल में काफी अनुशासन बना हुआ था |
सफारी सूट पहने व्यक्तिने मंच पर मौजूद एक कलाकार को हल्का सा इशारा किया| वह फ़ौरन उनके पास पहुंचा| सफारी सूटवाले ने कलाकार के कान में कुछ कहा| समझजाने के भाव से सर हिलाते हुए कलाकार वापिस मंच के निकट पहुंचा | भजन गायक सिकंदर के कान में कुछ फुसफुसाते हुए कलाकार ने एक अन्य भजन गायक की तरफ इशारा किया |
में एकाएक अपने स्थान से उठा|
व्यवस्थित ढंग से बैठी संगत के बीच जगह बनाते हुए में उस सफारी सूट वाले व्यक्ति के निकट पहुँच | उनके चेहरे पर प्रश्नात्मक भाव प्रगट हुए |
"जय माता दी!", मैंने हाथ जोड़कर अत्यंत विनम्र स्वर में पूछा, " आपका नाम जान सकता हूँ?"
"शिव चाचा", वह धीमेसे मुस्कुराये | "लोग मुझे 'शिव चाचा' के नाम से पहचानते है | बहुत से लोग 'जगत चाचा' भी कहते है | वैसे मेरा नाम 'जगमोहन गुप्ता' है | गुप्ता परिवार का सदस्य हूँ | 'देवी माँ' का सेवक हूँ|
"शिव चाचाजी !", मैंने थोडा झुक कर धीरेसे कहा, "में आपको लगभग तीन घंटे से यूँ ही खड़ा देख रहा हूँ !"
"देवी माँ की सेवा में ......" शिव चाचा समर्पण भाव से बोले, " ...साड़ी उम्र खड़ा रह सकता हूँ | एक पाँव पर भी |"
मैंने प्रशंसात्मक निगाहों से उनकी तरफ देखा, " शिव चाचा ! में थोड़ी जानकारी हासिल करना चाहता था.........."
" आईये ...." एकदम विनम्र भाव से बोले, "क्या जानना चाहते हों?"
लगभग दस बार सीढिया चढ़ने के बाद एक तरफ बनी एक विंडो के उमरे स्थान पर थोडा उकड़ होकर हम पास पास बैठ गए |
"में जानता हूँ, आप 'देवी माँ' के बारे में कुछ जानना चाहते है !" शिव चाचा ने मेरी तरफ देखा|
"में आपके बारे में जानना चाहता हूँ |" मैंने अपनी ऊँगली उनकी तरफ दो तीन बार लहराई |
"मेरा नाम जगमोहन गुप्ता है |" वह गंभीर स्वर में बोले, " गुप्ता फॅमिली का सदस्य हूँ ! हम लोग अत्यंत भाग्यशाली है भैया, जो पूज्य राधे शक्ति माँ हमारे घर में विराजमान है | देखिये जनाब | हमारा खानदानी धंदा है | बिसनेस, इनकम इज्जत शोहरत की कोई कमी पहले भी नहीं थी, लेकिन 'देवी माँ' के चरण जबसे हमारे घर पड़े है , हमारे तो जैसे भाग्य खुल से गए है !"
शिव चाचा एक क्षण के लिए रुके | खरवार तनिक गला साफ़ करने के बाद पुनः बोलना शुरू किया, "आज से साढ़े चार साल पहले मैंने 'देवी माँ' लीला का जो अनुभव किया, वो में आपको बताता हूँ | कुछ दिनों तक मेरी तबियत थोड़ी नरम रहते रहते अचानक मेरे पेट में भीतर ही भीतर ब्लीडिंग शुरू हो गयी | फ़ौरन डॉक्टर की तरफ भागे | इमर्जन्सी ट्रीटमेंट शुरू हो गया | बहुत प्रयत्नों के बाद भी ब्लीडिंग रुक नहीं रही थी | तबियत निरंतर डाउन होती जा रही थी हम लोगो ने एक क्षण के लिए भुला दिया थी की बड़े से बड़े डॉक्टरों का भी डॉक्टर तो हमारे घर में मौजूद है | 'देवी माँ ने ' हमें कुछ समाया पहले बता दिया था की सतर्क रहे | परिवार के सदस्यों ने 'देवी माँ' के चरणों में विनती की | फ़ौरन प्रार्थना स्वीकार हुई | 'देवी माँ' के आशीर्वाद से मेरे भीतर की समस्त बीमारी निकल गयी | एकदम से में स्वस्थ होने लगा | मेरी आत्मा और शरीर के तमाम रोग नदारद हो गए | में कुछ ही दिनों में एकदम स्वस्थ हो गया| स्वस्थ ही नहीं हो गया, उम्र के लिहाज से पहले से बी ज्यादा तरोताजा और तंदुरुस्त फील करने लगा हूँ | 'देवी माँ' की दृष्टी मात्र से प्रत्येक रोग का निदान हो जाता है, यह मेरा विश्वास भी है और दावा भी| ... बोले 'राधे शक्ति माँ' की ........."
"जय !" मैंने दोनों हाथ आसमान की तरफ तान दिए !
(निरंतर ............)
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