Part 15
उसकी उम्र लगभग 55 साल होगी, कद थोडा ठिगना, चेहरा गोल, छोटे छोटे बाल | उसने हलके आसमानी कलर की हाफ बाजु की शर्ट और पेंट पहनी थी | 'देवी माँ' की दर्शनो के लिए सीधीयों में कतार के बीच वह खड़ा फर्श को घुर रहा था | मेरा ध्यान उसकी तरफ आकर्षित इसलिए हुआ क्योंकी वह अपने आप से बाते कर रहा था | कभी वह झुंझलाकर गर्दन हिलाने लगता, तो कभी एकदम मुस्कराने लगता, कभी गुस्से में दात भींच रहा था, तो कभी गंभीर मुद्रा में कुछ बड़बड़ाने लगता |लगातार अपनी तरफ टकटकी लगाये देखता पाकर उसने झेपते से हुए दोनों जोड़कर धीरे से कहा "जय माता दी"|
"जय माता दी, साहेब|" मैंने हँसा, "आज कुछ खास उठापटक चल रही आपके भीतर ही भीतर | क्यों?"
"व़ो... यूँही..." वहा झेपे मिटाने का प्रयास करते हुए जबरन मुस्कुराया, "और तुम सुनाओ | बैठ क्यूँ गए ? थक गए हो ! अभी से ? जवान हूँ प्यारे ! उठो ! हिम्मत करो|"
"अरे नहीं भैई!" अपने पास पड़ी खाली जगह को थपथपाया, "आप भी बैठो! दर्शन शुरू नहीं हुए हैं शायद ! लाइन ज्यों की त्यों खड़ी हैं |"
वह, 'थैंक्यू' बोलने वाले स्टाइल में होंटों को हिलाकर मेरी बगल में आहिस्ता से बैठे गया |
"क्या बाते कर रहे थे अपने आपसे?" मैंने सहज स्वर मैं पुछा, "पहले अपना नाम बताइए |"
"मधुकर.... मधुकर नायर | मैं एक बैंक कर्मर्चारी था |.... हूँ |"
"था ?" मैंने उसकी बात दोहराई "और हूँ ! इसका क्या मतलब हुआ?"
"मतलब तो देवी माँ जाने |" वहा भरे गले से बोला, "लेकिन मानना पड़ेगा | पूज्य राधे शक्ति माँ का नाम हैं बड़ा चमत्कारी |"
" जरा खुल कर बोलिए नायर साहब" मैंने उत्सुकता से पुछा, "आपने क्या चमत्कार देखा?
"मेरे दोस्त |" वहा एकाएक गंभीर हो उठा, "मैंने पुरे तेतीस साल बैंक में नौकरी की हैं | कितने? 33 इयर | मामूली क्लर्क की पदवी पर लगा था | अपनी मेहनत से, लगन से, ईमानदारी से काम करते - करते असिस्टंट ब्रांच मेनेजर की सीट पर पंहुचा | लोग मेरी ईमानदारी की मिसाले देते.......... मेरी मेहनत और कार्यक्षमता पर पुरे स्टाफ को नाज था और फिर.........."
एक गहरी साँस लेने के बाद मधुकर नायर बोला, "मेरी अच्छी खासी जिंदगी को ग्रहण लग गया | किसी कर्मचारी ने बैंक में सत्ताएस लाख का घपला किया और इल्जाम मेरे सर पर आ गया...| कितने का सताइएस लाख का|"
मैंने गंभीर मुद्रा में लगातार ध्यान से उसकी बात सुन रहा था |
"पहले सभी कर्मचारी से पूछताछ हुई | फिर इन्क्य्वारी चालू हो गयी |मुझे सस्पेंड कर दिया गया |
"यहाँ कब की बात हैं ? " मैंने सहानभूति भरे स्वर में पुछा |
"लगभग सात वर्ष और पाच महीने हो गये, मुझे संस्पेंड हुए |" मधुकर नायर ने मेरी आँखों में झाँका, "मुझ पर बेईमानी का इल्जाम लगा | लोग मुझे अजीब निगाहों से देखने लगे मेरे रुतबा, मेरे इज्ज़त की धज्जिया उड़ गयी | शहर में कही आना जाना तक मुश्किल हो गया | यार दोस्तों ने पीठ दिखाई | रिश्तेदार सगेवाले मेरी बाते बनाने लगे | ... मतलब यह हैं मित्र मेरे, मैं ज़माने भर मैं तमाशा बन गया | मेरी हालत विक्षितों की सी हो गई | खाना पीना हराम | ऊपर से मेरे ऊपर केस हो गया| हप्ते महीने कोर्ट कचहरी का चक्कर | वकीलों की फ़ीस | सब कुछ बंटाधार हो गया |"
मैंने उसकी हाथ को थपथपाकर धाडस बंधाया |\
"मैं थक गया था | मैंने टूट गया था | मेरा विश्वास, मेरा धैर्य भी जवाब देने लगा था |" मधुकर नायर ने भरे गले से कहा, "फिर, मैं एकबार यहाँ 'श्री राधे माँ' भवन मैं हो रही चौकी में आ गया | जब वक्ता लोगों ने 'श्री राधे शक्ति माँ' की गुणगान बरवान किया, तो मैं भी दर्शन को चला गया | मैंने 'देवी माँ' के दरबार में अर्जी लगाइ, फिर निरंतर सात चौकी भरी |"
"फिर...?" मैंने व्यग्र स्वर मैं पुछा |
"फिर... सातवी चौकी के बाद ....." मधुकर नायर की आवाज में जोश आ गया, " एकाएक जैसे देवी माँ ने चमत्कार किया | बैंक मैं की गई जालसाजी के असली गुनहगार पकड़ में आ गये | वे तीन जन थे | एक क्लर्क, एक काशियर और एक ग्राहक | तीनो की शिनाख्त हो गयी | उन्होंने गुनाह कबुल कर लिया | अभी परसों .....परसों मैंने बैंक कर्मर्चारी था, लेकिन कल मुझे फिर से अपनी सर्विस की बहाली का आर्डर मिल गया | मुझे अपने नौकरी पर फिर बुला लिया गया हैं | बैंक ने लिखित रूप से मुझसे माफी मांगी है| इसी दौरान मुझे असिस्टंट से ब्रांच मेनेजर भी बना दिया गया हैं | मेरे भाई! इसलिए मैंने कहा मैं बैंक कर्मर्चारी था, हूँ | यानि सोमवार से... आज 'देवी माँ' के दर्शन करूँगा | आशीर्वाद लूँगा | कल तान कर सोऊंगा और फिर सोमवार से मधुकर नायर, ब्रांच मेनेजर की सीट संभालेगा | मैं तो इसे सिर्फ 'देवी माँ' का चमत्कार मानता हूँ | आपका क्या कहना हैं ?"
मैंने मुठी बंद कर हवा में लहराई " हंड्रेड परसेंट 'देवी माँ' का चमत्कार |"
मधुकर नायर ने संतुष्टि से सीर हिलाया |
(निरंतर ...)
Note - प्रिय 'देवी माँ' के भक्तो 'माँ की लीलाए' हम निरंतर शृंखलाबंध प्रस्तारित कर रहे हैं | इसमें हमने 'देवी माँ' के सानिध्य में आने वाले भक्तों के अनुभव को कलमबदध किया हैं | 'माँ की लीलाये' आप को कैसी लगी रही हैं इस बारे मैं आप अपनी राय, अपनी समीक्षा, अपना सुझाव हमें निम्न इ-मेल पर भेज सकते हैं |
आप अगर अपने अनुभव, 'देवी माँ' के अपने साथ हुए चमत्कार को सबके साथ बाटना चाहते हैं, तो हम आपके नाम और पते के साथ इसे पेश करेंगे | आप चाहेंगे तो नाम पता जाहिर नहीं करेंगे आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में
आप अगर अपने अनुभव, 'देवी माँ' के अपने साथ हुए चमत्कार को सबके साथ बाटना चाहते हैं, तो हम आपके नाम और पते के साथ इसे पेश करेंगे | आप चाहेंगे तो नाम पता जाहिर नहीं करेंगे आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में
Sanjeev Gupta
Email - sanjeev@globaladvertisers.in
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