Part 14
आप कभी परम श्रधेय 'श्री राधे शक्ति माँ' के, 'श्री राधे माँ भवन' गये हो, तो आपको बात दू मैं इस वक्त सीढ़ीयो द्वारा उपरी मंजली की तरफ जाने वाले रस्ते में कोई आठ दस सीढियों के बाद, लिफ्ट के ठीक लेफ्ट साइड में स्थित, विशाल विंडो की तनिक उमरी जगह पर, उकड़ होकर बैठा हुआ था | यहाँ से ग्राउंड फ्लोर स्तिथ विशाल हॉल में अच्छी तरह झाँका जा सकता हैं | पहली मंजिल की तरफ जाने वाली लगभग सात-आठ सीढियों पर खड़े माता के पूजारियो को भी देखा जा सकता हैं |
मेरे पास बैठे बुजुर्ग सेवादार ने उठते हुए मुझसे कहा "लाइन में लग जाओ, पांच माला स्थित गुफा तक पहुँचने में तुम्हे पूरा एक घंटा लग जायेगा | इससे ज्यादा भी लग सकता हैं |"
"कोई बात नहीं प्रभु|" मैंने बेफिकीर से हाथ हिलाया, "अब जब आ ही गये हैं तो देवी माँ का आशीर्वाद लेकर ही जायेगे | एक घंटा बाद ही सही! दो घंटा बाद भी चलेगा|"
जैसे ही सेवादार उठा एक अन्य बुजुर्ग जिनकी उम्र सत्तर से ऊपर ही होगी, आहिस्ता से मेरे बगल में बैठ गये | उनके हाथ में एक चॉकलेट का बड़ा सा डिब्बा था | मुझे डिब्बे की तरफ तकते देख कर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, " देवी माँ के लिए है | उन्हें चॉकलेट बहोत पसंद है |
"गुड" मैंने तनिक सरक कर उन्हें आराम से बैठने का इशारा किया |
"मैं जब भी आता हूँ........." वह आत्मविभोर स्वर में बोले, "देवी माँ के लिए चॉकलेट ही लाता हूँ | मैंने जब जब भी 'देवी माँ' के दर्शन किये, मुझे वो एक छोटी सी कंजक के रूप में दिखाई दी | मैं जैसे ही गुफा में प्रवेश करता हूँ मुझे ऐसा लगता हैं, जैसे वो मेरी ही प्रतीक्षा कर रही हो | एकदम बच्चो जैसा मुस्कुराहट उनके अधेरो पर खेलने लगते हैं | बच्चो जैसी ही उतावली मुद्रा में वो हाथ बढाकर मुझसे चॉकलेट मांगती हैं......................." उनका गला भर आया |
एक क्षण रुकने के बाद वह पुलकित स्वर मैं बोले, "जैसे ही 'देवी माँ' चॉकलेट लेती हैं | मेरे मन में एक असीम आनंद भर उठाता हैं |"
मैंने उनकी आखों में छलक उठने को आतुर पानी देखा |
"मेरा नाम सत्य प्रकाश हैं| .......सत्यप्रकाश गर्ग ..." वह अपने आप में खोये से धीर धीरे बोल रहे थे | "घर में 'देवी माँ' की कृपा से दिया सब कुछ हैं | मैं तो पंद्रह रोज का बेसब्री से इंतजार करता हूँ, की कब 'देवी माँ' के दर्शनों का दिन आये | .........तुमने देवी माँ से कभी कुछ माँगा ?"
मैंने इन्कार में सीर हिलाया |
"माँगना भी मत", वह गंभीर मुद्रा बनाकर बोले, " देवी माँ अंतर्यामी हैं | अच्छा बताओ तुमने 'देवी माँ' के किस रूप में दर्शन किये हैं?"
मैं कुछ बोलू उससे पहले ही वह स्वतः बोलने लगे, "पहले तो यहाँ जान लो की आखिर 'देवी माँ' क्या हैं? कोई संत? कोई अवतार? कोई ऋषि ज्ञानी?"
मैंने अनिश्चित भाव से सीर हीलाया, " आखिर 'देवी माँ' हैं क्या?" वह एक एक शब्द पर जोर देते हुए बोले, "सुनो बेटा, 'देवी माँ' के बारे में अपनी कोई भी राय निश्चित करने से पहले, उनके बारेमें अच्छी तरह जानना जरुरी हैं| देश - विदेश में उनके लाखो अनुयायी हैं | अब यही देख लो | हजारो की संख्या में हाजिर लोगो को गौर से देखो | इनमे टी वि आर्टिस्ट है, वकील है, डॉक्टर है, बड़े बड़े उद्योगपति है, छोटे-छोटे हाथ ठेला लगाने वाले भक्त हैं | साधू समाज के लोग, सरकारी तंत्र के लोग, बड़े-बुड्ढे, बच्चे-जवान............. न जाने कहाँ कहाँ से आ रहे हैं| इनको किसी ने निमंत्रण भेजा हैं क्या? या इनको फोर्स किया हैं, की यह तुमने आना ही है? नहीं ! नहीं ! कुछ तो है, की इन सबके दिलो में . 'देवी माँ' के दर्शनों की इतनी लालसा है, की भारी बारिश में भी लोगो का हुजूम दर्शनों के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहा हैं | सुनो मेरे बच्चे ! यहा साहूकारी नहीं चलेगी | यहा पद और आहोदा नहीं चलेगा | यहा रुतबा दिखाने की जरूरत नहीं|"
वह एक क्षण के लिए रुके, जीभ फिराकर अपने होंटों को तनिक गिला करने के बाद वह बोले, "यहा अगर आना है, तो दीन बनकर आओ | सवाली बन कर आओ | झुकना सिख कर आओ, विश्वास की ज्योत मन में जगाकर आओ | आशा की डोर थामकर आओ | कुछ पाने की इच्छा लिये आओ | मन की अशुधि और अहंकार को घर पर छोड़कर आओ | तब तुम्हे मालूम होगा की 'देवी माँ' किस बात पर रिझंती शक्ति है | याद रखना, यहा भूलकर भी किन्तु के भाव लेकर मत आना टाइम ख़राब करोगे | अगर कोई अपने आपको धुरंदर समझे और सोचे की मैं 'देवी माँ' की परीक्षा लू | तो यह उसकी भूल होगी | 'देवी माँ' परीक्षा देती नहीं, परीक्षा लेती है !"
(निरंतर...)
Note - प्रिय 'देवी माँ' के भक्तो 'माँ की लीलाए' हम निरंतर शृंखलाबंध प्रस्तारित कर रहे हैं | इसमें हमने 'देवी माँ' के सानिध्य में आने वाले भक्तों के अनुभव को कलमबदध किया हैं | 'माँ की लीलाये' आप को कैसी लगी रही हैं इस बारे मैं आप अपनी राय, अपनी समीक्षा, अपना सुझाव हमें निम्न इ-मेल पर भेज सकते हैं |
आप अगर अपने अनुभव, 'देवी माँ' के अपने साथ हुए चमत्कार को सबके साथ बाटना चाहते हैं, तो हम आपके नाम और पते के साथ इसे पेश करेंगे | आप चाहेंगे तो नाम पता जाहिर नहीं करेंगे आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में
आप अगर अपने अनुभव, 'देवी माँ' के अपने साथ हुए चमत्कार को सबके साथ बाटना चाहते हैं, तो हम आपके नाम और पते के साथ इसे पेश करेंगे | आप चाहेंगे तो नाम पता जाहिर नहीं करेंगे आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में
Sanjeev Gupta
Email - sanjeev@globaladvertisers.in
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